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GYANVARDHAK KAHANIYA

MORAL STORY

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हंस के कहानी


  • बहुत पुरानी बात है हिमालय में प्रसिद्ध मानस नाम की झील थी। वहां पर कई पशु-पक्षियों के साथ ही हंसों का एक झुंड भी रहता था। उनमें से दो हंस बहुत आकर्षक थे और दोनों ही देखने में एक जैसे थे, लेकिन उनमें से एक राजा था और दूसरा सेनापती। राजा का नाम था धृतराष्ट्र और सेनापती का नाम सुमुखा था। झील का नजारा बादलों के बीच में स्वर्ग-जैसा प्रतीत होता था। उन समय झील और उसमें रहने वाले हंसों की प्रसिद्धी वहां आने जाने वाले पर्यटकों के साथ देश-विदेश में फैल गई थी। वहां का गुणगान कई कवियों ने अपनी कविताओं में किया, जिससे प्रभावित होकर वाराणसी के राजा को वह नजारा देखने की इच्छा हुई। राजा ने अपने राज्य में बिल्कुल वैसी ही झील का निर्माण करवाया और वहां पर कई प्रकार के सुंदर और आकर्षक फूलाें के पौधों के साथ ही स्वादिष्ट फलों के पेड़ लगवाए। साथ ही विभिन्न प्रजाती के पशु-पक्षियों की देखभाल और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था का आदेश भी दिया। वाराणसी का यह सरोवर भी स्वर्ग-जैसा सुंदर था, लेकिन राजा के मन में अभी उन दो हंसों को देखने की इच्छा थी, जो मानस सरोवर में रहते थे। एक दिन मानस सरोवर के अन्य हंसों ने राजा के सामने वाराणसी के सरोवर जाने की इच्छा प्रकट की, लेकिन हंसाें का राजा समझदार था। वह जानता था कि अगर वो वहां गए, तो राज उन्हें पकड़ लेगा। उसने सभी हंसों को वाराणसी जाने से मना किया, लेकिन वो नहीं माने। तब राजा और सेनापती के साथ सभी हंस वाराणसी की ओर उड़ चले। जैसे ही हंसों का झुंड उस झील में पहुंचा, तो अन्य हंसों को छोड़कर प्रसिद्ध दो हंसों की शोभा देखते ही बनती थी। सोने की तरह चमकती उनकी चोंच, सोने की तरह ही नजर आते उनके पैर और बादलों से भी ज्यादा सफेद उनके पंख हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। हंसों के पहुंचने की खबर राजा को दी गई। उसने हंसों को पकड़ने की युक्ति सोची और एक रात जब सब सो गए, तो उन हंसों को पकड़ने कि लिए जाल बिछाया गया। अगले दिन जब हंसों का राजा जागा और भ्रमण पर निकला, तो वह जाल में फंस गया। उसने तुरंत ही तेज आवाज में अन्य सभी हंसों को वहां से उड़ने और अपनी जान बचाने का आदेश दिया। अन्य सभी हंस उड़ गए, लेकिन उनका सेनापती सुमुखा अपने स्वामी को फंसा देख कर उसे बचाने के लिए वहीं रुक गया। इस बीच हंस को पकड़ने के लिए सैनिक वहां आ गया। उसने देखा कि हंसों का राजा जाल में फंसा हुआ है और दूसरा राजा को बचाने के लिए वहां खड़ा हुआ है। हंस की स्वामी भक्ति देखकर सैनिक बहुत प्रभावित हुआ और उसने हंसों के राजा को छोड़ दिया। हंसों का राजा समझदार होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी था। उसने सोचा कि अगर राजा को पता चलेगा कि सैनिक ने उसे छोड़ दिया है, तो राजा इसे जरूर प्राणदंड देगा। तब उसने सैनिक से कहा कि आप हमें अपने राजा के पास ले चलें। यह सुनकर सैनिक उन्हें अपने साथ राजदरबार में ले गया। दोनों हंस सैनिक के कंधे पर बैठे थे। हंसों को सैनिक के कंधे पर बैठा देखकर हर कोई सोच में पड़ गया। जब राजा ने इस बात का रहस्य पूछा, तो सैनिक ने सारी बात सच-सच बता दी। सैनिक की बात सुनकर राजा के साथ ही सारा दरबार उनके साहस और सेनापती की स्वामी भक्ति पर हैरान रह गया और सभी के मन में उनके लिए प्रेम जाग उठा। राजा ने सैनिक को माफ कर दिया और दोनों हंसों को आदर के साथ कुछ और दिन ठहरने का निवेदन किया। हंस ने राजा का निवेदन स्वीकार किया और कुछ दिन वहां रुक कर वापस मानस झील चले गए। कहानी से सीख किसी भी परिस्थिति में हमें अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

बिना अकल के नकल

एक समय की बात है, किसी देश में सूखे की वजह से अकाल पड़ गया। सभी लोगों की फसलें सूखकर बर्बाद हो गई। उस देश के लोग खाने-पीने के लिए तरसने लगे। ऐसी मुश्किल घड़ी में बेचारे कौवों और अन्य पशु-पक्षियों को भी रोटी या खाने के टुकड़े नहीं मिल रहे थे। जब कौवों को काफी दिनों से कुछ खाने के लिए नहीं मिला, तो वे भोजन की खोज में जंगल ढूंढने लगें। जंगल पहुंचने पर एक कौवा-कौवी की जोड़ी एक पेड़ पर रूके और वहीं पर अपना बसेरा बना लिया। उसी पेड़ के नीचे एक तालाब था। उस तालाब में पानी में रहने वाला एक कौवा रहता था। वह दिन भर पानी में रहता और ढेर सारी मछलियां पकड़कर अपना पेट भरता रहता था। जब पेट भर जाता था, तब वह पानी में खेलता भी था। वहीं, पेड़ की डाल पर बैठा कौवा, जब पानी वाले कौवे को देखता, तो उसका भी मन उसी की तरह बनने का करता। उसने सोचा कि अगर वह पानी वाले कौवे से दोस्ती कर ले, तो उसे भी दिन भर खाने के लिए मछलियां मिलेंगी और उसके भी दिन अच्छे से गुजरने लगेंगे। वह तलाब के किनारे गया और पानी वाले कौवे से मीठे स्वर में बात करने लगा। उसने कहा – “मित्र सुनो, तुम बहुत ही स्वस्थ हो। पलक झपकते ही मछलियां पकड़ लेते हो। क्या मुझे भी अपना यह गुण सिखा दोगे?” यह सुनकर पानी वाले कौवे न कहा – “मित्र, तुम यह सीखकर क्या ही करोगे, जब भी तुम्हें भूख लगे, तो मुझे बता दिया करो। मैं तुम्हें पानी में से मछलियां पकड़कर दे दूंगा और तुम खा लिया करना।” उस दिन के बाद से जब भी कौवे को भूख लगती, वह पानी वाले कौवे के पास जाता और उससे ढेर सारी मछलियां लेकर खाता। एक दिन उस कौवे ने सोचा कि पानी में जाकर बस मछलियां ही तो पकड़नी हैं। यह काम वह खुद भी कर सकता है। आखिर कब तक वह उस पानी वाले कौवे का एहसान लेता रहेगा। उसने मन में ठाना की वह तालाब में जाएगा और खुद अपने लिए मछलियां पकड़ेगा। जब वह तालाब के पानी में जाने लगा, तो पानी वाले कौवे ने उससे फिर कहा – “मित्र, तुम ऐसा मत करो। तुम्हें पानी में मछली पकड़ना नहीं आता है, इस वजह से पानी में जाना तुम्हारे लिए जोखिम भरा हो सकता है।” पानी वाले कौवे की बात सुनकर, पेड़ पर रहने वाले कौवे ने घमंड में कहा – “तुम ऐसा अपने अभिमान की वजह से बोल रहे हो। मैं भी तुम्हारे जैसा पानी में जाकर मछलियां पकड़ सकता हूं और आज मैं ऐसा करके साबित भी कर दूंगा।” इतना कहकर उस कौवे ने तालाब के पानी में छपाक से छलांग लगा दी। अब तालाब के पानी में काई जमी हुई थी, जिसमें वह फंस गया। उस कौवे को काई हटाने या उससे बाहर निकलने का कोई अनुभव नहीं था। उसने काई में अपनी चोंच मारकर उसमें छेंद करना चाहा। इसके लिए जैसे ही उसने अपनी चोंच काई में धंसाई उसकी चोंच भी काई में फंस गई। काफी प्रयास करने के बाद भी वह उस काई से बाहर न निकल सका और कुछ देर बाद पानी में दम घुटने की वजह से उसकी मृत्यु हो गई। बाद में कौवे को ढूंढते हुए कौवी भी तालाब के पास आई। वहां आकार उसने पानी वाले कौवे से अपने कौवे के बारे में पूछा। पानी वाले कौवे ने सारी बात बताते हुए कहा – “मेरी नकल करने के चक्कर में, उस कौवे ने अपने ही हाथों से अपने प्राण धो लिए।” कहानी से सीख किसी के जैसा बनने का दिखावा करने के लिए भी मेहनत करने की जरूरत होती है। साथ ही अहंकार इंसान के लिए बहुत बुरा होता है।

मोगली की कहानी

  • सालों पहले गर्मियों के मौसम में एक दिन जंगल में सभी जानवर आराम कर रहे थे। अच्छे से आराम करके शाम के समय भेड़ियों का एक झुंड शिकार के लिए निकला। उनमें से एक दारुका नाम के भेड़िये को कुछ दूर जाते ही झाड़ियों से बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। भेड़िया जब झाड़ियों के पास जाकर देखता है, तब उसे एक बच्चा दिखाई दिया। वह बिना कपड़े के जमीन पर लेटा था। बच्चे को देखकर भेड़िया चौंक गया और उसे अपने साथ अपनी बस्ती ले गया। इस तरह इंसान का बच्चा भेड़ियों के बीच में आ जाता है। बच्चे को भेड़ियों के बीच देखकर उस जंगल में रहने वाले शेर खान को गुस्सा आ जाता है, क्योंकि वही उस बच्चे को इंसान की बस्ती से उठाकर खाने के लिए लाया था। भेड़िया अपने परिवार की ही तरह इंसान के उस बच्चे को भी पालता है। उसके परिवार में कुछ छोटे भेड़िये और उनकी मां रक्षा थी। रक्षा ने उस बच्चे को मोगली नाम दिया। मोगली को एक परिवार मिल गया और वह भेड़ियों को अपना भाई-बहन समझकर उनके साथ रहना लगा। दारुका ने भी अपनी पत्नी रक्षा को बता दिया था कि इस बच्चे को शेर खान के नजरों से बचाकर रखना, क्योंकि वो बच्चे को खाना चाहता है। रक्षा इस बात का पूरा ख्याल रखती थी। वो अपने बच्चों और मोगली को कभी भी अपनी नजरों से दूर जाने नहीं देती थी। एक तरफ कुछ समय बीतने के बाद जंगल में रहने वाले सभी जानवर मोगली के बहुत अच्छे दोस्त बन गए। दूसरी तरफ शेर खान दूर से ही मोगली पर नजर गड़ाए रखता था। वह मोगली का शिकार करने के लिए उचित समय के इंतजार में था। भेड़ियों के झुंड का नेतृत्व एक बुद्धिमान भेड़िया कर रहा था, उस दल में बल्लू नाम का भालू और बघीरा नामक एक पैंथर भी था। सभी एक जगह एकत्रित होकर मोगली को लेकर बातें करने लगे। उनका कहना था कि हमें मोगली को भेड़िये की तरह ही पालना होगा। इसपर झुंड का सरदार अपने साथी बघीरा और बल्लू को बोलता है कि तुम दोनों मोगली को जंगल के ​नियम- कानून सिखाओगे। साथ ही मोगली की रक्षा भी करोगे। इस तरह मोगली को जंगल में रहते-रहते एक साल बीत जाता है। मोगली धीरे-धीरे करके बड़ा होने लगा और उसके बड़े होने तक बल्लू और बघीरा मोगली को सारे नियम कानून के साथ ही खुद की रक्षा करने का तरीका भी सीखा देते हैं। मोगली बड़े होने तक कई जानवरों की भाषा सीख जाता है। साथ ही वह आसानी से पेड़ों पर चढ़ना, नदी में तैरना व शिकार करना भी सीख गया। बघीरा ने मोगली को इंसानों द्वारा बिछाए फंदे और जाल से दूर रहने और जाल में फंसने के बाद उससे बाहर निकलने के तरीके सिखाए। एक दिन समूह में रहने वाला एक भेड़िये का छोटा बच्चा शिकारियों के बिछाए जाल में फंस जाता है। उस फंसे हुए भेड़िये को शेर खान खाना चाहता था, तभी शेर खान से पहले मोगली वहां पहुंचकर नन्हे भेड़िये को बचा लेता है। शेर खान को यह सब देखकर बहुत गुस्से आ जाता है। फिर शेर खान कुछ दिनों बाद मोगली को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन वो उसे पकड़ नहीं पाता। गुस्से में शेर खान फैसला लेता है कि वो मोगली को पकड़ने के लिए बंदरों की सहायता लेता है। सारे बंदर जंगल के दूसरे हिस्से में रहते थे। वो सारे बंदर काफी खतरनाक थे। शेर की बातें सुनकर बंदरों का राजा मोगली को पकड़ने के लिए तैयार हो जाता है। बंदरों का राजा अपने सारे बंदरों को मोगली को पकड़ने का आदेश देता है। एक-दो दिन कुछ बंदर मोगली पर नजर रखते हैं और सही समय मिलते ही मोगली का अपहरण करके उसे घने जंगल से घिरे एक पहाड़ पर ले जाते हैं। मोगली सोच रहा था कि उसके पहाड़ में होने की बात बघीरा व बल्लू को पता चल जाए। तब उसे असमान में उड़ता हुआ एक चील दिखाई दिया। मोगली उस चील को आवाज लगाकर कहता है कि तुम मेरी मदद कर दो। मेरी यहां होने की खबर बघीरा और बल्लू को दे दो, उन्हें कहना कि मुझे बंदरों ने यहां कैद करके रखा है। चील ने जैसे ही मोगली की बात सुनी, तो वो जंगल की तरफ बघीरा और बल्लू के पास पहुंची। बघीरा और बल्लू को मोगली की जानकारी मिलते ही वे कॉ नामक अजगर से सहायता मांगने पहुंचे। शुरुआत में कॉ सीधे बघीरा और बल्लू को मना कर देता है। फिर वे कॉ को मोगली के बारे में बताते हैं। मोगली के बारे में जानकर कॉ उनकी सहायता करने के लिए राजी हो जाता है। सभी मोगली को बचाने के लिए निकल पड़ते हैं। शीघ्र ही कॉ, बघीरा और बल्लू बंदरों के इलाके में पहुंच जाते हैं। वहां पहुंचकर तीनों छिपकर देखने लगते हैं। तीनों देखते हैं कि वहां सैंकड़ों बंदर हैं। फिर थोड़ी देर बाद कॉ कहता है कि अब मोगली को बचाने का समय आ गया है। चलो उसे बचाकर ले आते हैं। तभी तीनों बंदरों पर हमला कर देते हैं। बघीरा अपने पंजों से बंदरों पर वार करता है, जिसके दर्द से बंदर चिल्लाने लगते हैं। तभी कुछ बंदर बल्लू पर टूट पड़ते हैं। यह देखकर कॉ अजगर आता है और बंदरों को पूंछ से मारने लगता है। उसके बाद बंदर डरकर भाग जाते हैं। फिर तीनों चैन की सांस लेते हैं और कॉ मोगली को दरवाजा तोड़कर बाहर निकाल लेता है। मोगली आजाद होते ही पेड़ के पीछे दौड़कर छिप गया। फिर अचानक से बंदर हमला करके बघीरा को घेर लेते हैं। बघीरा को घेरने के बाद बंदर मोगली को फिर से पकड़ लेते हैं। मोगली देखता है कि बघीरा घिरा हुआ है, तभी उसे याद आता है कि बंदरों को पानी से डर लगता है। वो बघीरा को चिल्लाकर बोलता है कि पानी में कूद जाओ बंदरों को पानी से डर लगता है। बघीरा यह सुनते ही तुरंत पानी में कूद जाता है और बंदरों के चुंगल से बाहर निकल जाता है। कुछ समय बाद मोगली बंदरों की कैद से भाग जाता है और फिर वह एक इंसानी बस्ती में पहुंचता है। उस बस्ती में पहुंचने के बाद उसे एक औरत मिलती है। उस औरत का नाम मेसुआ था, जिसका बच्चा सालों पहले एक शेर जंगल में उठाकर ले गया था। मोगली उसी औरत के साथ गांव में रहने लगता है। गांव वालों ने भी मोगली को रहने दिया और उसे जानवरों की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप दी। कुछ दिनों बाद मोगली का भेड़िया भाई उसे गांव में देखता है। देखते ही भेड़िया सीधे मोगली के पास जाकर उसे बताता है कि शेर खान उसे मारने की तैयारी कर रहा है। मोगली जान गया था कि शेर खान उसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला है, इसलिए मोगली ने उसे खत्म करने का एक प्लान बनाया। उस योजना में मोगली ने अपने ​भेड़िया भाइयों की सहायता ली। उसने भेड़िया से कहा कि शेर खान को एक घाटी पर ले आओ। शेर खान के घाटी पर पहुंचने के बाद मोगली ने दोनों तरफ से भैंसों का झुंड छोड़ दिया और खुद भी एक भैसे पर बैठ गया। शेर खान भैसों के झुंड के पैरों के नीचे आ जाता है। तभी शेर खान की मौत हो जाती है। फिर मोगली बेखौफ होकर गांव वालों के साथ रहने लगा। कुछ समय बीतने के बाद गांव के कुछ लोगों ने मोगली पर जादू करने का आरोप लगाया और उसे गांव से बाहर निकाल दिया। तब तक मोगली बड़ा हो गया था। वहां से निकलकर वो सीधे जंगल गया। वहां रहते हुए कुछ समय बीता ही था कि उसके भेड़िया भाइयों और बहनों की मृत्यु हो गई। वह अकेले उदास घुमने लगा, तभी उसकी मुलाकात दोबारा मेसुआ से होती है। मोगली अपनी सारी कहानी मेसुआ को बताता है। मेसुआ को यह यकीन हो जाता है कि उसके जिस बेटे को शेर उठाकर ले गया था, वो मोगली ही है। ​मेसुआ अपनी कहानी मोगली को बताती है और फिर दोनों साथ में रहने का फैसला करते हैं। इसके बाद मोगली इंसानों की बस्ती में खुशी-खुशी रहने लगता है और समय मिलने पर जंगल जाकर अपने दोस्तों से मिल लेता है। कहानी से सीख: हौसला रखने पर हर मुश्किल दूर हो जाती है। साथ ही हर इंसान को पशु-पक्षियों संग प्यार से पेश आना चाहिए। वक्त पड़ने पर वो दोस्त बनकर मदद कर सकते हैं।

नीले सियार

बार की बात है, जंगल में बहुत तेज हवा चल रही थी। तेज हवा से बचने के लिए एक सियार पेड़ के नीचे खड़ा था और तभी उस पर पेड़ की भारी शाखा आकर गिर गई। सियार के सिर में गहरी चोट लगी और वो डर कर अपनी मांद की ओर भाग गया। उस चोट का असर कई दिनों तक रहा और शिकार पर नहीं जा सका। खाना न मिलने से सियार दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी और उसे अचानक एक हिरन दिखाई दिया। सियार उसका शिकार करने के लिए बहुत दूर तक हिरन के पीछे दौड़ा, लेकिन वह बहुत जल्दी थक गया और हिरन को नहीं मार पाया। सियार पूरे दिन भूखा-प्यासा जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे कोई मरा जानवर भी नहीं मिला, जिससे वह अपना पेट भर सके। जंगल से निराश होकर सियार ने गांव की ओर जाने की ठानी। सियार को उम्मीद थी कि गांव में उसे कोई बकरी या मुर्गी का बच्चा मिल जाएगा, जिसे खाकर वह अपनी रात काट लेगा। गांव में सियार अपना शिकार ढूंढ रहा था, लेकिन तभी उसकी नजर कुत्तों के झुंड पर पड़ी, जो उसकी ओर आ रहे थे। सियार को कुछ समझ में नहीं आया और वो धोबियों की बस्ती की ओर दौड़ने लगा। कुत्ते लगातार भौंक रहे थे और सियार का पीछा कर रहे थे। सियार को जब कुछ समझ नहीं आया, तो वह धोबी के उस ड्रम में जाकर छुप गया, जिसमें नील घुला हुआ था। सियार को न पाकर कुत्तों का झुंड वहां से चला गया। बेचारा सियार पूरी रात उस नील के ड्रम में छुपा रहा। सुबह-सवेरे जब वह ड्रम से बाहर आया, तो उसने देखा कि उसका पूरा शरीर नीला हो गया है। सियार बहुत चालाक था, अपना रंग देखकर उसके दिमाग में एक आइडिया आया और वह वापस जंगल में आ गया। जंगल में पहुंच कर उसने ऐलान किया कि वह भगवान का संदेश देना चाहता है, इसलिए सारे जानवर एक जगह इकट्ठा हो जाएं। सारे जानवर सियार की बात सुनने के लिए एक बड़े पेड़ के नीचे एकत्रित हो गए। सियार ने जानवरों की सभा में कहा “क्या किसी ने कभी नीले रंग का कोई जानवर देखा है? मुझे ये अनोखा रंग भगवान ने दिया है और कहा है कि तुम जंगल पर राज करो। भगवान ने मुझसे कहा है कि जंगल के जानवरों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।” सभी जानवर सियार की बात मान गए। सब एक स्वर में बोले, “कहिए महाराज क्या आदेश है?” सियार ने कहा, “सारे सियार जंगल से चले जाएं, क्योंकि भगवान ने कहा है कि सियारों की वजह से इस जंगल पर बहुत बड़ी आपदा आने वाली है।” नीले सियार की बात को भगवान का आदेश मानकर सारे जानवर जंगल के सियारों को जंगल से बाहर खदेड़ आए। ऐसा नीले सियार ने इसलिए किया, क्योंकि अगर सियार अगर जंगल में रहते, तो उसकी पोल खुल सकती थी। अब नीला सियार जंगल का राजा बन चुका था। मोर उसे पंखा झलते और बंदर उसके पैर दबाते। सियार का मन किसी जानवर को खाने का करता, तो वह उसकी बलि मांग लेता। अब सियार कहीं नहीं जाता था, हमेशा अपनी शाही मांद में बैठा रहता और सारे जानवर उसकी सेवा में लगे रहते। एक दिन चांदनी रात में सियार को प्यास लगी। वह मांद से बाहर आया, तो उसे सियारों की आवाज सुनाई दी, जो दूर कहीं बोल रहे थे। रात को सियार हू-हू की आवाज करते हैं, क्योंकि ये उनकी आदत होती है। नीला सियार भी अपने आप को रोक न सका। उसने भी जोर-जोर से बोलना शुरू कर दिया। शोर सुनकर आस-पास के सभी जानवर जाग गए। उन्होंने नीले सियार को हू-हू की आवाज निकालते हुए देखा, तब उन्हें पता चला कि ये एक सियार है और इसने हमें बेवकूफ बनाया है। अब नीले सियार की पोल खुल चुकी थी। यह पता चलते ही सारे जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला। कहानी से सीख हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए, एक न एक दिन पोल खुल जाती है। किसी को भी ज्यादा दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।

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HEADINGTEXT titalext HOME FIGHTING FITNESS KNOWLEDGE HIPNOTIZE FUTURE ASTROLOGY RECIEPY KAHANIYA HACKING SHAYARY ICONEXT wifihack04❎❎❎❎ यह विकिहाउ गाइड आपको किसी WPA या WPA2 नेटवर्क को Kali Linux से हैक करके उसके लिए पासवर्ड का पता लगाना सिखाएगी। समझें कि आप कब कानूनी रूप से वाई-फाई हैक कर सकते हैं: अधिकतर एरिया में, आप WPA या WPA2 नेटवर्क को केवल तभी हैक कर सकते हैं, जब नेटवर्क या तो आपका है या किसी ऐसे व्यक्ति का है, जिसने आपको नेटवर्क को हैक करने के लिए साफ तौर पर सहमति दी है। हैकिंग नेटवर्क, जो ऊपर दिए गए क्राइटेरिया को पूरा नहीं करते हैं, जो कि गैर-कानूनी है, और इसे एक बहुत बड़े क्राइम की तरह माना जाता है। Kali Linux डिस्क इमेज डाउनलोड करें: WPA2 और WPA2 को हैक करने के लिए Kali Linux पसंद के टूल है। आप नीचे दिए अनुसार Kali Linux इन्स्टालेशन इमेज (ISO) डाउनलोड कर सकते हैं: अपने कंप्यूटर के वेब ब्राउज़र में https://www.kali.org/downloads/ जाएँ। Kali के जिस वर्जन का आप यूज करना चाहते हैं, उसके आगे HTTP पर क्लिक करें। फ़ाइल के पूरे डाउनलोड होने